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रेबीज क्या है?,रेबीज क्यो होता है,जानवरो में रेबीज के लक्षण, इंसानो में रेबीज के लक्षण, इलाज या बचाव,जानवर काट ले तो क्या करना चाहिए,क्या नहीं करना चाहिए

 रेबीज क्या है ?

• रेबीज एक वायरस से होने वाली बीमारी है।


• रेबीज टीके की खोज लुइस पाश्चर Louis Pasteur ने 6 जुलाई 1885 में किया।


• यह न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स 

(Neurotropic Lysaavirus) वायरस से फैलता है।

• संक्रमित कुत्ते, बिल्ली, बंदर, गीदड़, आदि और किसी भी जानवर के कटने से हो सकता है।


• यह वायरस संक्रमित जानवर के लार में पाये जाते है।


• सबसे पहले विषाणु लार के माध्यम से मनुष्य के रुधिर (blood) में प्रवेश करता है। जिससे ये हमारे शरीर में पुरी तरह से फैल जाता है।जिससे यह हमे बीमार बना देता है। 


• रैबीज एक ऐसी बीमारी है जो दिमाग और  ( केंद्रीय तंत्रिका तंत्र ) नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है।


• इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है यह 100 % फेटल है । लेकिन इससे बचाव बहुत ही आसान है।


रेबीज क्यो होता है - 

• ज्यादातर रेबीज के केसेस बीमार कुत्ता कटने की  वजह से ही होते है। मगर किसी भी जनावर के कटने, खरोंचने, सहलाने या उनके मलमुत्र के सम्पर्क में आने से भी रेबीज हो सकती है।


• रेबीज बंदर,घोड़े, जंगली चूहें , चमगादड़ , गधे , लोमाड़ी ,नेवला, बिल्ली, आदि से भी इसके संक्रमण हो सकते है।


• गाय और भैंस को भी बीमार जानवर के कटने से यह बीमार हो सकती है और ऐसी स्थिति में उनके मुँह के आस-पास झाग जैसा दिखाई देने लगाता है।

और ऐसे गाय - भैस का दूध इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।


जानवरो में रेबीज के लक्षण -

• जानवर एकदम से अगर जंगली जानवर है या पालतू जानवर नहीं है तो भी बहुत ज्यादा फ्रेंडली हो सकता है पालतू की तरह बिहेव कर सकता है।

• कुछ जानवरों में ही देखा जाता है कि वह पागल हो जाते हैं और जिसको देखते हैं उसको काटने को दौड़ते हैं।

• ज्यादातर जानवर चुप हो जाएंगे, छुप जाएंगे, आपको अपने बहुत नजदीक आने देंगे लेकिन ऐसे जानवरों के पास नहीं जाना चाहिए।


इंसानो में रेबीज के लक्षण -

 यदि कोई भी संक्रमित जानवर ( कुत्ता, बिल्ली,बंदर आदि) काट लेता है तो इसके लक्षण 1- 3 महीने बाद दिखाई देने लगाता है।


• घाव में खुजली हो सकती है या दर्द दोबारा से हो सकता है बुखार या हरारत जैसा महसूस हो सकता है।


• गले की पेशियों में सूजन हो जाति है।


• पूरे शरीर मे  ऐठन होने लगाती है।


• पानी से डर लगने लगता है, इंसान को चमकदार रोशनी अच्छी नहीं लगती, तेज हवा, आवाज इन सब चीजों से इंसान को डर पैदा होने लगता है. इसे एयरो फोबिया या हाइड्रोफोबिया भी कहते हैं।


• होने वाली मृत्यु से भी उसको डर लगने लगता है, गुस्सा आ जाता है चिड़चिड़ाहट होती है डिप्रेशन में आ जाता है।


• कई लोगों में हाइपरएक्टिविटी हो जाती है 2-3 दिन में हाइड्रोफोबिया यानि पानी से बहुत ज्यादा डर लगता है।


• पानी की आवाज़ सुनने से ही इंसान का गला घुटने लगता है।


• ऐसी स्थिति में 5 से 6 दिन में इंसान की मृत्यु हो जाती है।


इलाज या बचाव -

 यदि आपने कोई जानवर - कुत्ता, बिल्ली, पाल रखे है, तो उसे एंटी रेबीज का टिका जरूर लगावाये ।


 अगर आप किसी भी संक्रमित जानवर या संभावित रूप संक्रमित जानवर के संपर्क में आए है ,

तो तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल में जाकर एंटी रेबीज वैक्सीन या ARV का पांच डोज का इंट्रा मस्कुलर और इंट्रा डर्मल इंजेक्शन लगवाएं।


• ये जीरो दिन मतलब जिस दिन जानवर ने काटा है इसके बाद तीसरे दिन, फिर सातवें दिन 14 दिन और 28 दिन यह टीका लगता है।


• इसको बिना भूले लगाना चाहिए क्योंकि इस बीमारी से बचाव ही इसका इलाज है।


जानवर काट ले तो क्या करना चाहिए 

इसका कोई इलाज नहीं है इसलिए इसके बचाव के ही साधन सबसे मुख्य हैं।

• आप को बहते पानी और साबुन से अच्छे से 15 मिनट तक धोना चाहिए।

• 70% एल्कोहल डिसइंफैक्टैंट से क्लीन करना चाहिए या फिर पोवीडोन आयोडीन सॉल्यूशन से उसको धोए।

जल्दी से जल्दी नजदीकी सरकारी हॉस्पिटल में जाकर टीका लगाना चाहिए।

  

क्या नहीं करना चाहिए -

• घाव के ऊपर लाल मिर्ची या कोई और घरेलू चीज नहीं लगाना चाहिए।

• घर पर किसी भी तरह का ड्रेसिंग नहीं करना चाहिए या स्टिचेज नहीं लगवाने चाहिए।


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