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दहेज प्रथा निबंध

  दहेज प्रथा          " सोच बदलो चरित्र बदलो,             दहेज प्रथा को दूर करो" भूमिका -                  दहेज भारतीय सामाज के लिए अभिशाप हैं। यह कुप्रथा घुन की तरह समाज को खोखला करती चली जा रही हैं। इसने नारी जीवन तथा सामाजिक व्यवस्था को तहस - नहस करके रख दिया है। विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को उपहार के रूप में जो भेंट दी जाती है,उसे दहेज कहते है। यह प्रथा अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही है। आज यह बुराई का रूप धारण कर चुकी है , परन्तु मूल रूप से यह बुराई नही है।          बुराई -                 आखिर दहेज को हम बुराई कैसे कह सकते हैं ? विवाह के समय प्रेम का उपहार देना बुरा कैसे हैं ? क्या एक पिता अपनी कन्या को खाली हाथ विदा कर दे ? अपनी प्यारी बिटिया के लिए धन, समान, वस्त्र आदि देना प्रेम का प्रतीक हैं। परन्तु यह भेंट प्रेमवश दी जानी चाहिए, धाक जमाने के लिए नही। दूसरी बात, दहेज अपनी शक्ति के अनुसार दी जानी चाहिए मजबूरी में नही। तीसरी बात, दहेज दिया जाना ठीक है  माँगा जाना नही। दहेज को बुराई वहाँ कहा जाता है, जहाँ माँग होती है। दहेज प्रेम का उपहार है, जबरदस्ती